नए सामाजिक युग के नवनिर्माण की शपथ

नए सामाजिक युग के नवनिर्माण की शपथ

(हैहयवंश पुस्तक का सातवा अंश)

आज हमारा हैहयवंश क्षत्रिय सामाज अपने सामाजिक पहचान के लिए एक अत्यंत ही अंतर्द्वंद रूप से आन्दोलित हो रहा है| आइये हम सभी मिलकर इसे एक आन्दोलन का रूप दे| हमारा समाज असीम क्षमताओ, कलाओं, धन वैबव तथा सामजिक आर्थिक रूप से संपन्न रहते हुए भी आज पाने पहचान, संस्कृत, तथा खोये हुए क्षत्रिय सम्मान के लिए उदासीन है इसका कारण सिर्फ सब कुछ होते हुए एक समुचित मंच और संगठन का ना हो पाना है| जहाँ अन्य जाति समुदाय के लोग आज हमसे आगे बढ़ कर अपने स्वरुप का दिन पर दिन जागृत होकर विस्तार कर रहे हम वही आज भी खड़े है| किसी भी जाति समुदाय का अपना अलग पहचान और सामजिक सहभागिता होती है इससे हम इनकार नहीं कर सकते है| कौन सा समाज नहीं चाहता है के उसके अलग पहचान हो वह समाज में अलग दिखे, उसका कार्यशैली, एव्श्यर्य और श्रेष्ठ हो|  इसी क्रम में आज जो हमारा पहचान और सामाजिक सहभागिता है वह हमारे इतिहास और संस्कारो से कही परे है, हम सर्वश्रेष्ठ और उच्चकुल के क्षत्रिय होते हुए भी समाजज में खोये और सोये हुए है, जिसके कारण हम ना चाहते हुए भी इतने हिन्-दिन बने हुए है| ऐसा भी नहीं है की हमारे सामज के लोगो में कोई सामाजिक और सांस्कृतिक क्षमताओ का अभाव है बस हम उस क्षमताओ को एक आन्दोलन का रूप नहीं दे पा रहे है| यह भी सही है की सामाजिक कार्य करना एक अत्यंत ही कठिन और चुनौती पूर्ण कार्य है जिसमे समय, धन और बौद्धिक लोगो की आवश्यकता पडती है| आज के इस व्यस्तम जीवन शैली और पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ यह कार्य कर पाना और भी चुनातीपूर्ण है पर हम यदि इनसब कार्यों में से एक छोटा सा समय भी निकाल कर एक्जुट रहकर एक  द्रिढ-संकल्प, और कठिन परिश्रम तथा धैर्य के साथ करे तो यह असंभव भी नहीं है| हमें इसके लिए हीन-भावना, छोटा-बड़ा, उच्च-नीच, धनी-निर्धन आदि का भेद-भाव भी त्यागना  होगा| समाज में जीविका के लिए किया जा रहा कोई भी छोटा बड़ा कार्य खराब नहीं यदि कुछ गलत या बुरा है तो उस कार्य के प्रति हमारी सोच, संस्कार और करने के प्रक्रिया हमे इसे बदलने की आवश्यकता है तभी हम सामाजिक रूप से संगठित और सुद्रिड बन सकेगे|  हम सभी जानते है की मनुष्य में अपार क्षमताए होती है बस उसे कैसे प्रयोग किया जाय कि वह व्यस्थित तरीके से वह एक बृहद और शक्तिशालीरूप बनकर  समाज को संगठित और गौरव प्रदान का सके| इसी क्रम में  उ०प्र० हैहयवंशीय क्षत्रिय सभा (गोरखपुर, इकाई), द्वारा इस सामाजिक आन्दोलन में देश और प्रदेश के साथ हैहयवंश जन आन्दोलन में सबसे ऊपर रहकर समाज की खोयी हुयी छवि और सम्मान को स्थापित कर जिले में ही नहीं वरन देश और प्रदेश में इस आन्दोलन को सफल बनाएगा हमें आशा ही नहीं विश्वाश है कि समस्त जिलो के हर हैहयवंशीय परिवार व् उसका सदस्य इस कार्य में हमारी मदद करेगा| हैहयवंश क्षत्रिय समाज के गौरवशाली वैभव के पुनर्स्थापना के लिए आईये हम सभी मिलकर यह प्रण करे कि अपने सभी भेद भाव त्याग कर खुलेमन से एक दूसरे का सहयोग लेते और देते हुए सामाजिक सफलता को प्राप्त कर उसे आगे बढाने में समाज का पूरा सहयोग जिस रूप में भी हो सके देंगे और एक शशक्त समाज के निर्माण में योगदान करंगे ताकि आने वाली पीढ़ी को  अपने सामजिक स्वरुप और अस्तित्व के लिए संघर्ष ना करना पड़े|

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