श्री सह्स्त्राबहु महाराज, महश्मती मंदिर

श्री सह्स्त्राबहु महाराज, महश्मती मंदिर, महेश्वर, जिला खरगोन, मध्य प्रदेश, भारत



(हैहयवंश पुस्तक का अंतिम अंश)

हैहयवंश समाज का हर सदस्य इस सह्स्त्राबहु महश्मती मंदिर का दर्शन अवश्य कर लाभ प्राप्त करे और इनके पराक्रम,वीरता, और इस मंदिर के निर्माण कला से अभिसिंचित हो|
समस्त हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज के लोगो को अपनी खोयी हुयी पहचान और अस्तित्व को पुन: जागृती करने के उद्देश्य से इस पत्रिका का संकलन और लेखन समाज के जनसहयोग से  और सामाजिक पुस्तकों तथा ग्रंथो, पुरानो, वेदों से प्राप्त करते हुए और समाज व् अन्य इतिहास कारों  द्वारा पूर्व में समाजहित में लिखी गयी कुछ पुस्तकों जैसे हैहयवंश का इतिहास, हैहयवंश उत्पति, जाति भास्कर, प्राचीन भारत की जातिया, क्षत्रिय वंशावली अदि से संग्रहित कर वर्तमान पीढ़ी के कल्यान्नार्थ हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज के जन-जन तक पहुचानें और उनको अपनी समाज के बारे में जानने और पढने के लिए प्रकाशित की जा रही है| इसके प्रकाशन का उद्देश्य सिर्फ सामाजिक जन भावना है नाकि किसी प्रकार से व्यसाय या आय लाभ अर्जित करना है| आशा है कि इससे समाज के लोग स्वंय पढेगे और दूसरों तक भी इसकी जानकारी पहुचाएं  और बताने में अपना सहयोग प्रदान करंगे| साथ ही सर्व-समाज में अपनी सामाजिक पहचान बनाने के लिए हम किसी एक उपनाम शब्द के प्रयोग लिए बाध्य नहीं करते है नाही कोई सामाजिक विवाद चाहते है  परन्तु इतना अवश्य प्रार्थना करते है कि आप सभी समाज के लोग अपने नाम के पीछे उपनाम के लिए क्षत्रिय जोतक शब्द (चन्द्रवंशी, सोमवंशी,  हैहयवंशी, हयारण, सिंह, राजपूत, क्षत्रिय, हयारण, सह्स्त्राबहु, कार्त्यवीर, हैहय, कलचुरी, अदि)  का प्रयोग करना शुरू कर दे क्योकि जबतक हम एक नयी  शुरुवात नहीं करंगे तबतक हमें सामजिक सफलता और स्वाभिमान नहीं मिल सकती है हम एक दूसरे के इंतज़ार कि मुझे क्या फायदा में रहेंगे और सोचेंगे तो कभी भी सामाजिक रूप से सफल और एक स्थिर पहचान नहीं बना सकते है|
धन्यवाद
संकलन, लेखन एवं परामर्शकर्ता
डा० वी० एस० चन्द्रवंशी (सामाजिक लेखक, विचारक व् आलोचक एवं स्वतंत्र पत्रकार)
लखनऊ – मोबाइल ०९४१५६४४११५८
गर्व से कहो हम क्षत्रिय है

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