हैहयवंशी के गोत्र, देवी और देवता


(हैहयवंश पुस्तक का छठवा अंश)


आधुनिक समय में अधिकांश हैहयवंशी क्षत्रिय हयारण गोत्र शब्द का प्रयोग अपने नाम के साथ करते है. हयारण का अर्थ है -----"हय +  + रण  " 
हय ययाति बंशे कश्चिद् राजा बभूव
आसम्यक प्रकारेण
रण मध्ये तिस्ठ न्ति
नास्माद हेतुना हयारण पद्मुच्यते .
जिसका अर्थ है कि  महाराज हैहय की दक्ष संताने " हयारण " कहलाई . हैहय वंशी क्षत्रिय रण कौशल में इतने अधिक निपुण थे कि रण क्षेत्र में वे हाहाकार मचा देते थे इस कारण से ये " हयारण कहलाये . यह कोई गोत्र नहीं है, केवल मात्र " पद " है. हैहय वंशियो का गोत्र कौशिक देव संकर्षण , बृक्ष वाट, वेड-यजुर्वेद , शाखा-आश्वालायन, प्रबर से है. प्रथम कौशिक, द्वितीय असित, त्रित्तीय देवल , नेत्र याज्ञवल्क्य , सूत्र चौआ , देवी भद्रकाली , और गुरु का नाम देवल है.

देवता –कुल देव श्रीशिव
देवी – कुलदेवी माँ दुर्गा
शाखा – चन्द्रवंश
नदी – नर्मदा
वेद – यजुर्वेद

हैहय यशोराज के वंशजो का शासन प्राप्त होने पर यत्र - तत्र पाए जाते है जो इधर उधर जा बसे है और इन्होने अपना गोत्र सहस्पुरिया बताया , जो अपभ्रंश में सहसपुरिया , भाषान्तर  में छएपुरिया हुआ तथा बाद में शिवपुरिया हो गया। मुलहा - हैहयो के बनवाए छातीस्गढ़ो में मुल्दागढ़ एक गढ़ है इसी गढ़ के नाम पर यहाँ रहने वाले हैह्यो का गोत्र मुलहा हुआ। खर्रा - खारोंदगढ़ के नाम से ही यहाँ के रहते वाले ताम्रकारो के गोत्र खर्रा हुअ. यह भी छतीसगढ़ में एक गढ़ है. महलवार- हैहय नरेशो द्वारा निर्मित छतीस्गढ़ो में महलवार गढ़ एक गढ़ है यहाँ के रहने वाले हैहय वंशजो के गोत्र महलवार पडा, महलवार भी इधर उधर जा बसे है. सोंठो - हैहय नरेश सूर्यदेव का राजधानी सोंठी थी , इनके वंशजो का गोत्र इसी कारन से सोंठी पद. बरहा- इस गोत्र के नामकरण होने के कारन पाए जाते है और यह नामो से भी प्रख्यात है, बरहा और नरबरहा इस प्रकार ये दो गोत्र हुये. प्रथम मंडला के पास स्थित बारहा ग्राम है, इसी बारहा ग्राम से बारहा गोत्र उत्पन्न हुअ. दूसरा हैहयो के शासन प्रबंध में बारह गाँव के ऊपर जो अधिकारी होता था उसे बारहा कहा


जाता था . इसीलिये इनका गोत्र बारहा रहा और कही कही इन्हें नरबारहा भी कहते है. बडवार  - मिर्जापुर जिले में बढहर नामक स्थान से इस गोत्र बडवार हुआ . तलहा - तल्हारी ग्राम से यत्र तत्र बसने वालो का गोत्र तलहा पडा, झाझाराया-झाझन नगर हैहय नरेश जाजल्देव का बसाया हुआ है. इस प्रकार से यहाँ के रहने वाले हैहय तम्रकारो का गोत्र झाझाराया हुआ , इसी प्रकार से उसेवा नामक नगर के रहने वाले उसेवा हुए, अप्भ्रन्सता के कारण ये कही कही उसेका  और कही कही उसेवा बोले जाते है. रतन पुर हैहय वंशी क्षत्रियो की मुख्य राजधानी होने ३१के कारन यहाँ के निवासी रतन पुरिया गोत्र से प्रसिद्द हुये. लुह रौत रतनपुर राज्य के भाग हुए थे. रतनपुर और रायपुर की लुहरी शाखा से लुहरौत गोत्र बन गया . इन गोत्रो के अलावा हैहयवंशी क्षत्रियो (कान्स्य्कारों , ताम्राकारों )  में और भी अनेक गोत्र है, जिनके नामकरण होने की जानकारी प्राप्त है. इन गोत्रो के कुछ नाम नीचे दिए गए  -
गोत्र –
1-पटनिया
2-
लुह्रोत या लुह्रौत
3-
उकासे
4-
अत्री
5-
बुध्वनिया
6-
नरवरिया या नेवरिया
7-
शिवपुरिया
8-
धुषा
9-
महलवार
10-
बडवार
11-
उसेवा
12-
सखिया
13-
धुवेल
14-
खमेले
15-
करैया
16-
परमार
17-
लखेटे
21-मुलहा
22-
सोंठो
23-
ताल्हा , तेल्हा
24-
रतन पुरिया
25-
देवपुरिया
26-
बघेल (अब यह एक अलग जाति है )
27-
पैगवार
28-
खुटा
29-
खुटहा
30-
बरैया , बराया
31-
हतोल
32-
गुढा
33-
विल्केट , बिलकता
34-
मेवाड़ी
35-
मेवाती
36-
कर्रा , खर्रा
37-
बरहा







18-कांता, कांटा
38-झाझाराया
19-चौहरिया
39-लुह्रौत , लोह्रौत
20-जसेठ
40-कलचुरी (अब यह एक अलग समाज है )




 41-जसाठी
42-
बडोनिया
43-
बुदैया
44-
सूर्यमुखी
45-
छिपा
46-
चौहान , चौधरी , चौधारिया
47-
गहलौत , (अब यह एक अलग समाज है )
48-
पटनिया , पटनिया
49-
जराठे
50-
गाढ़ा मोटा
51-
रामगढ़िया
52-
लोध्र (अब यह एक अलग जाति है )
53-
पचवारिया
54-
मेदनधिया, मेदनदिया
55-
सोनपलिया
56-
महेंद्रनिया
57-
सौड़ पलिया
58-
हरदिया
59-
खानखाप्रा, खानखाप्रे
60-
असल सिया
61-
झामरिवल, झाम्रीवाल
62-
कूलबाल
63-
अमरसरिया
67-आमेर
68-धुच्छा
69-
सेठिया , सेठ
70-पिनाखन , पीनाखान
71-
पहाड़ी गोटा
72-
बलिया
73-हयारण
74-
झरिया
75-
पोन्पलिक
76-बहनिया , भानिया
77-
अनन्त
78-
चासुडिया
79-
बांगडा , बांगडी
80-
चावडी
81-
बावड़ी
82-
पुहावाड़े
83-
भाडा वसिया
84-
भरद्वाज (अब यह एक अलग जाति है )
85-
मवाली
86-
मेहतर (अब यह एक अलग जाति है )
87-
बंगडिया (अब यह एक अलग जाति है )
88-
पलिया
89-
मेद्पडिया




64-नरेडी
90-सिर्जोडिया


65-मोरिया.मोर्य (अब यह एक अलग जाति है)
91-लाखे , लखपतिया
66-खेत्पलिया
92-मोहरिया


93-मेध धारिये
94-सिखैया
95- -
कश्यप (अब यह एक अलग जाति है )
96 -
कृष्नात्रे
97 -
शादिली या शांडिल्य मतलब विश्वकर्मा , लोहार (अब यह एक अलग जाति है )
98 -
नारायण
99-
खरवार
101-
छप्पा
102-
नारेली
103-
अल्तास
104-
पंच्पडिया
105-
घोड्हा
106-
नाकेडिया
107-
रावत (अब यह एक अलग जाति है)
108-
सिरबैया
109-
छातीया
110-
छरिया
111-
नरेडी
112-
बरिया
113-
वरिया
114-सेलकी
115-देधवाल
116-
गिल्कता
117-
गोते
118-
लुसाह
119-
मोटा पहरिया
120-
कुच्बंधिया (अब यह एक अलग जाति है)
121-
मोहरिया
122-
मेक्सी भाविया
123-
बिल्छारा , बिल्छरा
124-
उकसाया
125-
जखाडिया
126-
नायक (अब यह एक अलग जाति है)
127-
अतलस गंधोर
128-
सिरवैया
129-
हल्लास
130-
भकिया
131-
भामिया
132-
मेनादिया
133-
ग्वाला, ग्वालवंशी
134-
अय़ॊध्य़ावासी
135-कंजर

टिप्पणियाँ

  1. जब महाराज हैहैय ही यादव थे तो ईनसे निकली सब यादव ही होगा ना....

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    1. किसने बोल दिया सहस्त्रबाहू यादव थे? ये हैहैवंश के राजा है हमारे पूर्वज यानि हायरण

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    2. यादव आहिर थे न की हैहयवंशी सहस्त्रबाहुअर्जुन

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    3. लड़ाई क्यु कर rhe हो भाई ये video ka लिंक दे रहा हु देख लेना ok https://youtu.be/91pizAqIfQQ

      Or तब भी यकीन ना हो विष्णु पुराण पढ लेना वैसे भी वो जो बने अपने कर्म से बनने क्या आपका कर्म ऐसा है की आपके वन्सज आप पे गर्व करे l or आप समाज जाति वंश या धर्म आपको उस प्रमेस्वर ने दिया है और उनके नज़र में हम सब राजा है वो किसी को छोटा नहीं समझे है l ये सब छोड़िए और कर्म वीर बनिये l

      राधे राधे l

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    4. Are murkho yadav raja yadu ke vansaj hain or ahir ek alag caste hain raja yadu chandravanshi raja yatiti ke putra the is prakar yaduvanshi chandrivanshi hue vo kshatriya hain or haihaivanshi bhi raja yadu ki hi santan hain isliye vo bhi yaduvanshi hue pahale jakar puran padho or ab ye rajput hote hain

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    5. भरतवंशी (भरवंशी) भरद्वाज की उत्पत्ती जिसे आज हम भर राजभर कहतेहै दोस्तो यह हमारी जाती जाती नही है यह एक वंशावली है
      अब मै आप को Kshatriya की आरम्भीक कहानी बताता हु ब्रह्मा जी के नेत्र् से पैदा हुए अत्री ऋषी जीससे अत्री गोत्र है अत्री से
      चंद्रदेव हुए चंद्रदेव से वुध से परूरवा हुए पुरूरवा ने अपने दादा के नाम पर चंद्र्वंश की स्थापना की इसी वंशावली मे हैहैयवंशी हुए
      जिसका पर्शुराम ने 21बार नास कीया दोस्तो आगे चलकर इसी चंद्रवंश मे यदु और पूरू और तर्वश दुहायु भाइयो का जन्म हुआ राजा यदु से यदुवंशी हुए जिसमे आगे चलकर कृष्ण का जन्म हुआ जो कृष्ण के पैदा होते ही कृष्ण को बचाने के लिए वशुदेव ने ग्वालवंशी अहिर जाती के अपने मीत्र के यहा पर देदिया महाभारत के युध्द के बाद कुन्ती के श्राप के कारन यदुवंशीयो का समुल नास होगया यादवो का समुल नास होनेके बाद ग्वालवंशी अहिर ढढोढ अपनेआपको यादव कहलाने लगे
      जो की अहिर लोग यदुवंशी अथवा यादव बिलकुल नही है दोस्तो
      यह तोरही चंद्रवंश के यदुवंशीयो की कहानी अब आइए चंद्रवंश के राजा पुरू की वंशावली अर्थात पुरूवंश की कहानी बताता हु जिसमे बडे बडे प्रतापी राजा महर्षी हुए राजा नहूष महाराजा हष्ति हुए जिन्होने अपने राज्य का नाम हष्तिनापुर रखा इसी चंद्रवंशी पुरूवंशी राजा हष्ति के कुल मे महाराज दुष्यंत और शकुन्तला सेचक्रवर्ती सम्राठ महाराज भरत का जन्म हुआ महाराज भरत के तिन रानिया थी तिनो रानीयो को पुत्र न पैदा होने के कारन महाराज भरत ने एक पुत्र प्राप्ती का यग्य कीए उस यग्य होने से खुस होकर देवताओ ने महाराज भरत को एक पुत्र दिया उस पत्र को पाकर महाराज भरत अती प्रसन्न हूए उस बालक को अपना दद्तक पुत्र मानकर अपने नाम से अपना नाम दिया भरद्वाज जो बहोत बडे महर्षी हुए राजा भरत भरद्वाज ऋषी
      को पुत्र रूप मे प्राप्त कर्ते ही राजा भरत तीनो पत्नीयो से धीरे धीरे नौ पुत्रो की प्राप्ती हुई सबसे बडे पुत्र भरद्वाज ऋषी को मीलाकर दस पुत्र हुए यहा से चंद्रवंश से भरतवंश (भरवंश) नागवंश की उत्पती होता है जो महर्षी अत्री गोत्र मे महर्षी भरद्वाज गोत्र है यही भरत kshatriya लोग कालन्तर मे (भर) राजभर कहलाते है जिनका गोत्र भरद्वाज है इसी मे कुरूवंशी पाण्डव हुए स्वजाति भाईयो चंद्रवंशी (सोमवंशी) हैहैयवंशी यदुवंशी पुरूवंशी भरतवंशी नागवंशी कुरूवंशी पाण्डव एक ही कुल खान्दान से है kshatriya है दोस्तो इसे जीतना हो सके उतना share करे और समाज मे जागरुग्ता लाए अपने आपको पहचानो महाभारत का युद्ध यही भर भरद्वाज (भरतवंशी भरद्वाज) लोग लडे थे जो की यह एक धन सम्पत्ती केलिए पारिवारिक लडाई था

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    6. Abe Ahir ke amtalab jante ho Ahir Kai jati Nahi hai Ahir Ka matalab Nidar hota hai Ahir ek upadhdi hai jo Bhagwan Shri krKrish ko Di hai thi jab ve kaliya nag ko yamuna Nadi se bhagaye the Yadav is great

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    7. यह शब्द प्राचीन धर्मग्रन्थों में अनेक स्थलों पर आया है और उनकें शिल्पी ब्राह्मण के स्थान में प्रयोग हुआ है। अर्थात लोककार, काष्टकार, स्वर्णकार, सिलावट और ताम्रकार सब ही काम करने वाले कुशल प्रवीण शिल्पी ब्राह्मण का बोध केवल रथकार शब्द से ही कराया गया है और यही शब्दों वेदों तथा पुराणों में भी शिल्पज्ञ ब्राह्मणों के लिए लिखा गया है। स्कन्द पुराण नागर खण्ड अध्याय 6 में रथकार शब्द का प्रयोग हुआ हैः

      सद्योजाता दि पंचभ्यो मुखेभ्यः पंच निर्भये।। विश्वकर्मा सुता होते रथ कारास्तु पचं च।। तास्मिन् काले महाभागो परमो मय रूप भाक्।। पाषणदार कंटकं सौ वर्ण दशकं तदा।। काष्ठं च नव लोहानि रथ कृद्यों ददौ विभुः।। रथ कारास्तदा चक्रुः पचं कृत्यानि सर्वदा।। षडदशनाद्य नुष्ठानं षट् कर्मनिरताश्च ये।।

      अर्थः शंकर बोले कि हे स्कंन्द, सद्योजात् वामदेव, तत्पुरूष, अधीर और ईशान यह पांच ब्रह्म सज्ञंक विश्वकर्मा के पांच मुखों से पैदा हुए। इन विश्वकर्मा पुत्रों की रथकार सज्ञां है। अनेक रूप धारण करने वाले उस विश्वकर्मा ने अपने पुत्रों को टांकी आदि दस शिल्प आयुध अर्थात दस औजार सोना आदि नौ धातु लोहा, लकडीं आत्यादि दिया। उसके यह षटेकर्म करने वाले रथकार सृष्टि कार्य के पंचनिध पवित्र कर्म करने लगे।

      रथकार शब्द क ब्राह्मण सूचक होने के विषय में व्याकरण में भी अष्टाध्यायी पाणिनि सूत्र पाठ सूत्र - शिल्पिनि चा कुत्रः 6/2/76 सज्ञांयांच 6/2/77 सिद्धांत कौमुदी वृतिः- शिल्पि वाचिनि समासे अष्णते। परे पूर्व माद्युदात्तं, स चेदण कृत्रः परो न भवति। ततुंवायः शिल्पिनि किम- काडंलाव, अकृत्रः किं-कुम्भकारः। सज्ञां यांच अणयते परे तंतुवायो नाम कृमिः। अकृत्रः इत्येव रथकारों नाम ब्राह्मणः पाणिनिसूत्र 4/1-151 कृर्वादिभ्योण्यः।

      ब्राह्मण जाति सूचक अर्थ को बताने वाले जो गोत्र शब्द गण सूत्र में दियें है, वह यह हैः कुरू, गर्ग, मगुंष, अजमार, ऱथकार, बाबदूक, कवि, मति, काधिजल इत्यादि, कौरव्यां, ब्राह्मणा, मार्ग्य, मांगुयाः आजमार्याः राथकार्याः वावद्क्याः कात्या मात्याः कापिजल्याः ब्राह्मणाः इति सर्वत्र।

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    8. https://m.youtube.com/watch?v=Z5J2TQws2Is
      सहस्त्रबाहु अर्जुन शुद्ध शुद्ध यादव ( अहीर ) था । कृपया अपना ज्ञान बढ़ाओ.
      सहस्त्रबाहु अर्जुन की वंशावली
      Yadu Dynasty :

      Once Yadu Dynasty King Yayati was suffering from a curse, he requested his five sons to help relieve him from that curse. All the four sons disagreed to help except the youngest. Yayati cursed his eldest son Yadu that his descendants are not worth to be a royal one. Yadu apologized for the mistake he committed. Yayati gave him a boon that Lord Narayana himself will born in his dynasty. The descendants of Yadu were Sahasrabahu Kartavirya Arjuna, Krishna etc.

      Heheya Dynasty:
      Main article: Heheya Kingdom
      Sahasrajit was the eldest son of Yadu whose descendant were Haihayas. After Kartavirya Arjuna, his grandsons Talajangha and his son, Vitihotra had occupied Ayodhya which was ruled by Rama's ancestor Sagara's father Bahuka who was also known as Asita. Talajangha, his son Vitihotra were killed by King Sagara. Their descendants (Madhu and Vrshni) exiled to Kroshtas, a division of Yadava Dynasty.

      Sahasrajit
      Satajit
      Mahahaya, Renuhaya and Haihaya (the founder of Haihaya Kingdom). (Contemporary to Suryavanshi king Mandhatri)
      Dharma was the son of Haihaya.
      Netra
      Kunti
      Sohanji
      Mahishman was the founder of Mahishmati on the banks of River Narmada.
      Bhadrasenaka (Bhadrasena) (Contemporary to Suryavanshi king Trishanku)
      Durmada (Contemporary to Suryavanshi king Harischandra)
      Durdama
      Bhima
      Samhata
      Kanaka
      Dhanaka (Lord Vishnu)
      Krtavirya, Krtagni, Krtavarma and Krtauja. (Contemporary to Suryavanshi king Rohitashva)
      Arjuna (Sahasrabahu Kartavirya Arjuna) was the son of Krtavirya who ruled 88000 years and was finally killed by Lord Parashurama.

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  2. Gotra No. 6 Narwariya aj ke Lodhi Rajput h. Matlab Lodhi Rajput Hehay Vansh se hi Nkle h.

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  3. गोत्र न.6 नरवरिया गोत्र न.74 झरिया या जरिया गोत्र न.52 लोध्र आज के लोधी लोधा लोध राजपूत हैं।इससे साफ सन्देश है कि लोधी राजपूत हैहय वंश से ही संबंधित हैं।.....लोधी राजेश राजपूत(अध्यक्ष:अंतर्राष्ट्रीय सर्व धर्म अनुयायी लोधी लोधा लोध राजपूत एकता मिशन)

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    1. हम बघेल हे ओर हम हेहेयवंशी हे।
      बहुत खुशी हूई ये जानकर

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    2. Bhai baghel gujarat ke ek gav ka Nam hai jaha chalukyo ne Raj Kiya tha jiske Karan unki surname Vaghela ban gyi aur aage jate ve m.p ke Reva aa base aur Hindi bhasa ke Karan Vaghel ka baghel ban gya jisko vaha ke kuch chutiyo me copy paste Kar Diya vo log kisi ko bhi bap bana lete hai

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    3. मूर्ख लोग हे जो कॉपी पेस्ट करते हे।
      अभी तक भारत का इतिहास सही ढंग से लिखा ही कहा गया हे ।कार्तिवीर्य अर्जुन राम से पहले पेदा हुये हे ।
      हमारा कुल बघेल हे
      ओर खाप ढेंगर हे ।
      मौर्य,राठोर,रेकवार,कछवाये,रोतेले,
      तंवर,ओर भी गौत्र हे

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    4. वेदों का अध्ययन करें आप सब विश्वकर्मा वंश लोहे का कार्य करने वाले सोने का कार्य करने वाले तांबे का कार्य करने वाले अर्थात का कसेरा शिल्प कार्य करने वाले अर्थात मूर्तियां बनाने वाले सब शिल्पी ब्राह्मणों अधिक जानकारी के लिए मेरे 7388868016 पर कॉल करे

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  4. भारत सरकार जिसके ऊपर रहम करदे वही राजा जाती नही तो रंक जाति।

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  5. भारत सरकार जिसके ऊपर रहम करदे वही राजा जाती नही तो रंक जाति।

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  6. मे मनता हू के बघेल समाज हेहेय वंश की शाखा हे ।

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  7. में भी हैहयवंश क्षत्रिय हु पर मेरा गोत्र तो बछ है ....?

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  8. हैहय राजवंश
    हैहय पुराणों में वर्णित भारत का एक प्राचीन राजवंश था। हरिवंश पुराण के अनुसार हैहय, सहस्राजित का पौत्र तथा यदु का प्रपौत्र था।[1] श्रीमद्भागवत महापुराण के नवम स्कंध में इस वंश के अधिपति के रूप में अर्जुन का उल्लेख किया गया है।[2]पुराणों में हैहय वंश का इतिहास चंद्रदेव की तेईसवी पीढ़ी में उत्पन्न वीतिहोत्र के समय तक पाया जाता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार ब्रह्मा की बारहवी पीढ़ी में हैहय का जन्म हुआ। हरिवंश पुराण के अनुसार ग्यारहवी पीढ़ी में हैहय तीन भाई थे जिनमें हैहय सबसे छोटे भाई थे। हैहय के शेष दो भाई-महाहय एवं वेणुहय थे जिन्होंने अपने-अपने नये वंशो की परंपरा स्थापित की।

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  9. महाराष्ट्र के चाँद्रसेनिय कायस्थ प्रभु (C.K.P.) जाती को भी कार्तवीर्य अर्जुन के बेटे या वंशज 'राजा चंद्रसेन' के कुल व वंश का माना जाता है. कायस्थ प्रभु समाज भी हहयवंशी राजन्य क्षत्रिय है जिन्हें कुछ लोग ब्राह्मण भी समझते है.

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  10. हैहयवंशी क्षत्रिय बहुत से स्थानों में अब भी राजपुत कहलाती है, ये दुर्भाग्य है कि बिहार और उत्तरप्रदेश में ये पूर्व में हुए राजनीतिक कारणो से बिखर गयी और जो इनका तत्कालिक पेशा था उस वक्त, उसके अनुसार इन्हे कलवार, कलाल या कलार कब कर पिछडा वर्ग में डाल दिया गया

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  11. आज भी बहुत सी संस्थाएं है जो पुराने समय से चलती आ रही है, जो वर्षों से हमे गौरवान्वित करती है और हमारी पहचान जो कि कुछ जगह छिन रही है उसे बचाने में मदद कर रही

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  12. सभी कलवार, कलाल और कलार भाईयो से निवेदन है वो बिना हिचक के अपने नाम के आगे क्षत्रिय लगाये...और लोगो को बताये, शुरुआत में दिक्कतें आयेगी, लेकिन लोग फिर मानेंगे ही जो सत्य है 🙏
    वक्त बदला है रक्त नही ...जय राजपूताना जय सहस्रार्जुन भगवान

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    1. भाई कलवार क्षत्रिय ही हैं बस सब को एकजुट होना हैं

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    2. Bhai hamara gotra kasyap hai aur hm us chakravarti samrat maharaja sahastra bhahu arjun ke vans hai jo ravan ko shree ram se pahele yudh me haraya tha. Mai sabse agrah karta ki aap apne aap ko jane aur apne aap ko vaishvik (bania) na samjhe

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    3. कहीं तालाब में मछली पकड़ने वाले क्षत्रिय तो नहीं हो जो महा गंधैले होते हैं

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    4. ये कौन है जो बोल रहा है तालाब में मछली पकड़ने वाले क्षत्रिय तो नही हो सबको क्या तुम्हारे जैसा ही समझा है कॉल कर मुझे बताता हूँ कौनसा क्षत्रिय हु 8619021547 , लेखराज मेवाड़ा कलाल राजस्थान से

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  13. Krpya hamare vansh ka pora itihash ek pustak me chpawa kar samjh me de...jise sabko haihai vansh ka itihash pata chale...ki hum kaun hai..veero ke veer hai hum....9454548464

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  14. उत्तर
    1. Arey bhai lodhi rajput Haihayvanshiya hai aur ve RR SAHASRARJUN MAHARAJ ke vanshaj hai. Haihayvansh ke aur bhi kahi sub-castes hai jese ki KANSARA, KASERA, KANSYAKAR, THATHERA, TAMBAT, TAMRAKAR, VERMA aur bhi kahi aur.

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  15. हैहयवंशक्षत्रिय
    कलचुरी कलार ही प्रमुख रूप से इसमे आते है

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  16. Mahyavanshi Samaj ke lekhak Shri Kuber Makvana dwara lekhit pustak"RAPUTODAY" 1911 se hame yah pata chala ki hum bhi Hai Hai Vansh se taluk rakhte hai , Gujrat ke prasidh lekhak Shri Kanaiyalal Munshi aur Govener Gayakvadji ke dwara is bat ki prusti ki gai hai ki hum - Mahyavanshi, Parmar Vansh jo ki 35 shaka ki 20vi shakha Meyavat rajput se hai jo ki Mahyavanshi kehlate hai. Purv Bangal Meyavati Nagari (ab Bangladesh me hai) vahase hum Parshuram se bachte bachate Abu aur vahase CHURI - M.P. ki taraf gaye the,

    Aaj hamara pura samaj South Gujrat me basta, hai jo ki kam aur dandhe se Mumbai aur baki shaher me paye jate hai.

    South Gujrat ka hamara Itihas 300 sal ke aspas ka hai, Agar koi Jankari MEYAVAT RAJPUT ki yadi hai to muze krupa kar ke contact kare. arpitinfosystems@gmail.com 9892270613

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  17. Mahyavanshi Samaj ke lekhak Shri Kuber Makvana dwara lekhit pustak"RAPUTODAY" 1911 se hame yah pata chala ki hum bhi Hai Hai Vansh se taluk rakhte hai , Gujrat ke prasidh lekhak Shri Kanaiyalal Munshi aur Govener Gayakvadji ke dwara is bat ki prusti ki gai hai ki hum - Mahyavanshi, Parmar Vansh jo ki 35 shaka ki 20vi shakha Meyavat rajput se hai jo ki Mahyavanshi kehlate hai. Purv Bangal Meyavati Nagari (ab Bangladesh me hai) vahase hum Parshuram se bachte bachate Abu aur vahase KALCHURI - M.P. ki taraf gaye the,

    Aaj hamara pura samaj South Gujrat me basta, hai jo ki kam aur dandhe se Mumbai aur baki shaher me paye jate hai.

    South Gujrat ka hamara Itihas 300 sal ke aspas ka hai, Agar koi Jankari MEYAVAT RAJPUT ki yadi hai to muze krupa kar ke contact kare. arpitinfosystems@gmail.com 9892270613

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  18. भरतवंशी (भरवंशी) भरद्वाज की उत्पत्ती जिसे आज हम भर राजभर कहतेहै दोस्तो यह हमारी जाती जाती नही है यह एक वंशावली है
    अब मै आप को Kshatriya की आरम्भीक कहानी बताता हु ब्रह्मा जी के नेत्र् से पैदा हुए अत्री ऋषी जीससे अत्री गोत्र है अत्री से
    चंद्रदेव हुए चंद्रदेव से वुध से परूरवा हुए पुरूरवा ने अपने दादा के नाम पर चंद्र्वंश की स्थापना की इसी वंशावली मे हैहैयवंशी हुए
    जिसका पर्शुराम ने 21बार नास कीया दोस्तो आगे चलकर इसी चंद्रवंश मे यदु और पूरू और तर्वश दुहायु भाइयो का जन्म हुआ राजा यदु से यदुवंशी हुए जिसमे आगे चलकर कृष्ण का जन्म हुआ जो कृष्ण के पैदा होते ही कृष्ण को बचाने के लिए वशुदेव ने ग्वालवंशी अहिर जाती के अपने मीत्र के यहा पर देदिया महाभारत के युध्द के बाद कुन्ती के श्राप के कारन यदुवंशीयो का समुल नास होगया यादवो का समुल नास होनेके बाद ग्वालवंशी अहिर ढढोढ अपनेआपको यादव कहलाने लगे
    जो की अहिर लोग यदुवंशी अथवा यादव बिलकुल नही है दोस्तो
    यह तोरही चंद्रवंश के यदुवंशीयो की कहानी अब आइए चंद्रवंश के राजा पुरू की वंशावली अर्थात पुरूवंश की कहानी बताता हु जिसमे बडे बडे प्रतापी राजा महर्षी हुए राजा नहूष महाराजा हष्ति हुए जिन्होने अपने राज्य का नाम हष्तिनापुर रखा इसी चंद्रवंशी पुरूवंशी राजा हष्ति के कुल मे महाराज दुष्यंत और शकुन्तला सेचक्रवर्ती सम्राठ महाराज भरत का जन्म हुआ महाराज भरत के तिन रानिया थी तिनो रानीयो को पुत्र न पैदा होने के कारन महाराज भरत ने एक पुत्र प्राप्ती का यग्य कीए उस यग्य होने से खुस होकर देवताओ ने महाराज भरत को एक पुत्र दिया उस पत्र को पाकर महाराज भरत अती प्रसन्न हूए उस बालक को अपना दद्तक पुत्र मानकर अपने नाम से अपना नाम दिया भरद्वाज जो बहोत बडे महर्षी हुए राजा भरत भरद्वाज ऋषी
    को पुत्र रूप मे प्राप्त कर्ते ही राजा भरत तीनो पत्नीयो से धीरे धीरे नौ पुत्रो की प्राप्ती हुई सबसे बडे पुत्र भरद्वाज ऋषी को मीलाकर दस पुत्र हुए यहा से चंद्रवंश से भरतवंश (भरवंश) नागवंश की उत्पती होता है जो महर्षी अत्री गोत्र मे महर्षी भरद्वाज गोत्र है यही भरत kshatriya लोग कालन्तर मे (भर) राजभर कहलाते है जिनका गोत्र भरद्वाज है इसी मे कुरूवंशी पाण्डव हुए स्वजाति भाईयो चंद्रवंशी (सोमवंशी) हैहैयवंशी यदुवंशी पुरूवंशी भरतवंशी नागवंशी कुरूवंशी पाण्डव एक ही कुल खान्दान से है kshatriya है दोस्तो इसे जीतना हो सके उतना share करे और समाज मे जागरुग्ता लाए अपने आपको पहचानो महाभारत का युद्ध यही भर भरद्वाज (भरतवंशी भरद्वाज) लोग लडे थे जो की यह एक धन सम्पत्ती केलिए पारिवारिक लडाई था

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    1. अबे चुतिया महामूर्ख यादव एक वंश है जो महाराज यदु के नाम पर चला । अहीर मतलब होता है निडर, और जो वंश चले उनके पुत्रो के अधार पर चले , मुख्य रुप से अहीर ही यादव वे एक दुसरे के पर्यायवाची है साप मारने के कारण यदु को अहीर कहा गया और कृष्णा को भी । अहीर वंश की शुरुवात राजा आहुक से हुयी और इसी वंश में भगवान कृष्ण हुये । कर्तिवीर्य अर्जुन सब यादव थे ।
      मूर्खता मत करो ।
      अहीर यदुकूल की सबसे उच्च जाती होती है । फिर सब ढ़रोर, ग्वाल आदि आते है ।

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    2. Haihya ko treta yug me jab Mara ja rha rha tab ek bhi yduvanshi ya suryavanshi kshtriya ne iska virodh nhi Kiya tha aur na hi kisi ne madad ki thi 🙄 isliye bache hua haihya teen jati me bat gye the jisme solas ka Nam badlkar chola ho gya aur rhi bat haihya ki to unhone Vishnu Pooja band Kar di thi 🙄 chalukya,chola,Karnataka ki kamma jati haihya hai ve kabhi Vishnu ko nhi pujte the parsuram Vishnu ke avtar hone ke karan

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    3. Bhai aapne ek point chod Diya ki haihya kabhi Vishnu ki pooja nhi karte 🙄 chola, chalukya aur Karnataka ki kamma jati haihya hai 🙄 Jo Vishnu aur unko poojne valo se bhut nafrat karti thi

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  19. Tamta or aagri ( tambe ki khan me kam Karen wale) caste bhi haihaye Vanshi hote hai?
    Kripya kar bataye..

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    1. Jese ki TAMBAT, TAMRAKAR. Aur bhi jese ki KANSARA, KANSYAKAR, KASERA, THATHERA.

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    2. Mai sbhi ko suchit karna chata hu ki upar. 95 - pr di gyi gotra kalal, kalwar ki hai. Aur kalwar ka mtlb jante ho kaal ko maat dena wala kalwar hota. Hm shree sahastra bhahu ji ke vans hai aur vahi kul devta bhi hai. Aur kul devi mata hinglaj devi hai. Kalwar nischit rup se kshtriya hai. Aur hamare vans me aaj bhi jamidar hai, aur rajya vansh maharaja jais . Samjhe bhai aur mahabharat, Sunderland, yadurved me yeh spust hai. Adik jankari ke liye call kare 7394991807 .

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  20. ये कलार अपने को हैहय वंशी बताते है
    पर ऐसा नही है
    महाराष्ट्र, MP, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में सावजी क्षत्रिय ही सही मायने में हैहय वंशी क्षत्रिय है, केबल इतना ही नही पिछले 1500 साल का ये इतिहास भी इनके पास है जो साबित करता है इनके कुल का।
    परन्तुं यह समाज आज जनरल केटेगरी में आता है और financially बहोत strong community है।
    कलार बस सहस्त्र अर्जुन (कार्तवीर्य अर्जुन ) के मानने वाले बनिये (वैश्य) है।
    इनका क्षत्रियो से कोई वास्ता नही।
    सोमवंशी क्षत्रिय सहस्रार्जुन (सावजी क्षत्रिय ) इनके sirnames भी राजपूतो के समान है. जैसे पंवार, परिहार, सोमवंशी, कट्यरे, सोलंकी, etc।
    इस समाज मे हर उस आस्था को संजोए रखा है जो एक क्षत्रियो को करनी आवश्यक है, जैसे उपनयन ( विधिवत जनेऊ धारण करना), विजयदशमी में शस्त्र पूजा करना।

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    1. इस हैहय वंश का अलग अलग जातियों में विघटन हो गया है, उत्तर भारत मे कुछ में राजपूत और ताम्रकार भी हैहय वंश से आते है.
      मध्य युग मे कुछ मराठाओ की तरफ से 18 पगड़ जातियों में से हैहय वंश के क्षत्रिय एक थे। और आज वो केवल छत्रपती शिवाजी को मानते है, और मराठा कहलाते है।
      शिवाजी महाराज भी सिसोदिया सूर्यवंशी थे।

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    2. समस्त क्षत्रिय बंधुओं को मैं बताना चाहता हूँ कि, परसुराम ने क्षत्रिय विहीन नही किया था वो तो शब्दों के अपभ्रंश से कहा जाता हैं, सत्य तो ये हैं कि क्षत्रिय राजा को 21 बार छत्र विहीन किया था मतलब
      (युद्ध में हराना )

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    3. Bhai haihya kabhi Vishnu ki pooja nhi karte 🙄 chola, agnivansh ki 4 sakha aur Karnataka ki kamma jati haihya hai 🙄

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    4. हा भाई तू ज्यादा इतिहास जनता है अपने 4 वी पीढ़ी के दादा का नाम बताना तो मुझे भी तो पता चले तो कितना जानता है अपना इतिहास

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  21. अरे मूर्खो ये पंडितो ने गलत सलत लिखा है कृष्ण भगवान यादव थे उनके पिता बशुदेव भी यादव थे

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  22. बहुत ही अभूतपूर्व जानकारि ।अब जाके मूल इतिहास मिला हे । जय जय हेहेयवंश ।
    बघेल हे हम

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  23. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  24. ब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खंड में गुर्जर जाति का श्री परशुराम भगवान से युद्ध

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  25. Devi puran ke anusar haihai vansh ki utapatti ki kahani ye hai Ek bar bhagvan vishnu ne maa luxmi ko shrap diye ki tum jakar prithavi per nivash karo fir maa luxmi tamasa aur ganga ke sangam per nivash karane lagi ,hajaro versh tapashya karne ke bad bhagvan shanker ne vishnu. Ke pass jakar bole ki he prabhu aap maa luxmi ko prithavi per akele hajaro sal se nivash kar rahi hai ,fir viishnuji ne kaha he prabhu vah luxmi ghodi ke rup me tamasa aur ganga ke sangam per tapasya kar rahi hai, bhagvan shankerji ne kaha aap bhi jakar tamasa ganga ke sangamper ghoda ke rup nivash kare unase jo putra hoga to maa luxmi aur aap vishnuji ki fir apanane lok vapas hojayenge ,fir maa luxmi vishnuji se putra hua ,maa luxmi boli prabhu iss putra ka kya kare vishnuji ne kaha ek raja putra ke liye tapashya kar raha hai use de diya jai fir uss putra Ko raja ne liya ve vihnu luxmiji vapas aa gaye, ye haihai vansh ballia me tamasa ganga ke sangam per aaj bhi nivash kar raha hai ,jisase kalchuri vansh ballia me hai ,bhavan parasuram ne haihai vansh ka kai bar hatya ki ,hai hai ka arth ghoda ghodi hota hai jai shree ram

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  26. राहुल सिंह परमार राजपूत, अहीर, यादव, सतवारा एक ही है समझे पहले तुम पुराण को ठीक से पढ़ो



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  27. सबलोग सुनो सारे राजपूत, अहीर, सतवारा, सार्थवाह चंद्रवंशी और सूर्यवंशी है

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  28. Haihaye vanshi kastriya tamrakar hi he jo ki sahstra arjun ki santan he or kalhar ek alg jati he jinho ne aaj se kuch dashak pahle tamrakaro ke grantho ko copy kiya or khud ko haiyaye batane lage he jabki inka to haihaye vansh se koi lena dena bhi nhi he or tamrakar aj alg thalg pdh rahe or ekta kho rahe he is bajh ye dusre log ghusne ki kosis me he tamrakaro ko ekhta hona pdega or apni khoi hui pehchan ko bapis pana hoga jay shree ram jay shastra arjun

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    उत्तर
    1. Bhai mana na manna tumarhre upr hai fir bhi mai explain krta hu upr di gyi 95-gotra kashyap hamari gotra hai. Kalwar aaj ak jaat nhi naam hai jaiswal aur hamare yaha jamidar, subedar, mahajan bhi hai. Aur chakravarti samrat maharaja sahastra bhahu ji ke vans hai hm. Kul devi hinglaj devi hai. Raj vans maharaja jais hai. Jo ki u. P me sthit hai. Yaha tk ki kalwar ka mtlb kaal ko maat dena hai jaise 21 baar vadhya parshuram dwara hone baad bhi aaj hamara kul bhaccha hai. Tb jaake kahi kalwar kahlaye hm. Iska spust varnn yadurved me hai.

      Jai SAHASTRA BHAHU MAHARAJ, JAI JAISWAL (KALWAR) SAMAJ. JAI RAJPUTNA.

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  29. किसने बोल दिया कलाल हैहय वंशी नही है पहले सही से पता करो समझे फालतू में दुसरो की जाति में घुसे जा रहे और 1 बात और सुनो अहलूवालिया जाति जो सिक्ख में पाई जाती है वो भी कलाल ही थे बाबा जस्सा सिंह कलाल पता कर फिर आ प्रूफ चाइये तो वो भी देदु 8619021547 मेरे व्हाट्सएप्प नंबर है पता कर लेना दुसरो में घुसने की कोसिस मत करो राजस्थान में हम मेवाड़ा कलाल नाम से पहचाने जाते है

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  30. ताम्रकार vishwakarma वंशी ब्राह्मण समाज है जिन्हें पांचाल ब्राह्मण के नाम से जाना जाता है

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  31. सहस्त्रबाहु अर्जुन शुद्ध शुद्ध यादव ( अहीर ) था । कृपया अपना ज्ञान बढ़ाओ.
    सहस्त्रबाहु अर्जुन की वंशावली
    Yadu Dynasty Edit
    Main article: Yadu
    Once Yadu Dynasty King Yayati was suffering from a curse, he requested his five sons to help relieve him from that curse. All the four sons disagreed to help except the youngest. Yayati cursed his eldest son Yadu that his descendants are not worth to be a royal one. Yadu apologized for the mistake he committed. Yayati gave him a boon that Lord Narayana himself will born in his dynasty. The descendants of Yadu were Sahasrabahu Kartavirya Arjuna, Krishna etc.

    Heheya Dynasty Edit
    Main article: Heheya Kingdom
    Sahasrajit was the eldest son of Yadu whose descendant were Haihayas. After Kartavirya Arjuna, his grandsons Talajangha and his son, Vitihotra had occupied Ayodhya which was ruled by Rama's ancestor Sagara's father Bahuka who was also known as Asita. Talajangha, his son Vitihotra were killed by King Sagara. Their descendants (Madhu and Vrshni) exiled to Kroshtas, a division of Yadava Dynasty.

    Sahasrajit
    Satajit
    Mahahaya, Renuhaya and Haihaya (the founder of Haihaya Kingdom). (Contemporary to Suryavanshi king Mandhatri)
    Dharma was the son of Haihaya.
    Netra
    Kunti
    Sohanji
    Mahishman was the founder of Mahishmati on the banks of River Narmada.
    Bhadrasenaka (Bhadrasena) (Contemporary to Suryavanshi king Trishanku)
    Durmada (Contemporary to Suryavanshi king Harischandra)
    Durdama
    Bhima
    Samhata
    Kanaka
    Dhanaka (Lord Vishnu)
    Krtavirya, Krtagni, Krtavarma and Krtauja. (Contemporary to Suryavanshi king Rohitashva)
    Arjuna (Sahasrabahu Kartavirya Arjuna) was the son of Krtavirya who ruled 88000 years and was finally killed by Lord Parashurama.

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    उत्तर
    1. भाई इन सब मूर्खों को न समझावो ये सब फर्जी वाले Video पर ज्यादा विश्वास करते हैं कभी वेद, पुराण , महाभारत पढ़ते तो यहां आकर लड़ाई नहीं करते
      Tb is sb murkho ko pta hota ki bhgwan krishna se bhi khud ko kitni baar kya kahkr sambodhit kiya hai kya nhi aur radha Rani bhi kaun thi wo bhi pta chlta hai

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  32. मैं नर्मदा प्रसाद चंद्रवंशी क्षत्रिय /सोमवंशी /खाती समाज से हूँ ।
    और हमारा समाज:- धार, इन्दौर, सीहोर, देवास, रतलाम, मन्दसौर, नीमच, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, भोपालआदि जिले में अधिक संख्या में हैं । इसके अलावा भारत के अन्य प्रांतों में व दूसरे देशों में भी लोग रहते हैं ।

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  33. पूर्व राजस्व मंत्री व विधायक मा.श्री करण सिंह वर्मा जी व पूर्व विधायक मा.शैलेंद्र पटेल इछावर विधानसभा जिला सीहोर मध्य प्रदेश , पूर्व विधायक मा.जीतू जिराती व पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री व विधायक मा.जीतू पटवारी राऊ विधानसभा जिला इन्दौर मध्य प्रदेश , विधायक मा. मनोज चौधरी हाटपिपल्या विधानसभा जिला देवास मध्य प्रदेश व कालापीपल विधानसभा जिला शाजापुर मध्य प्रदेश से विधायक मा.कुणाल चौधरी आदि सब चंद्रवंशी क्षत्रिय समाज से हैं ।
    ।। साभार ।।

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  34. हैहयवंशी केवल ताम्रकार , कंसारा, कसेरा, तंबत आदि होते है जो चंद्रवंशी क्षत्रियों की शाखा में आते है ये आज के समय मे कई जातिया ये दावा करती है कि वे हैहयवंशी है पर बताने को बस इतिहास के नमो को तोड़ मोड़ कर बता देतें है और हम याद दिलाते है कि एक श्राप के कारण यदुवंश का सर्वनाश हो गया था तब सबको सांप सूंघ जाता है
    जय राज राजेश्वर सहस्त्र अर्जुन
    (हर्ष ताम्रकार म.प्रा.)

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  35. क्षत्रिय मट्ठा कलार समाज छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश

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  36. यदुकुल मे वृष यादव कुल के वंश प्रवर्तक थे, वृष के पुत्र मधु थे, मधु के 100 पुत्र हुए जो वृषण वंश चलाने वाले हुए। वृषण से जो संतान परंपरा चली उसके अंतर्गत सभी क्षत्रिय वृष्णी कहलाये और मधु के वंशज माधव नाम से प्रसिद्ध हुए। उसी प्रकार यदु के नाम पर उस वंशज के लोग यादव कहलाते है तथा आगे होने वाले हैहय के वंशज हैहय कहलाते है।

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