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हैहयवंशीय बनना हमारा सामाजिक ध्येय

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हैहयवंशीय बनना हमारा सामाजिक ध्येय (गर्व से कहो हम क्षत्रिय   है)  इस नव वर्ष पर मै इस लेख के माध्यम से हैहयवंशी क्षत्रिय समाज से सम्बन्ध रखने वाले और हैहयवंशी क्षत्रिय समाज के महाराज श्री सहस्त्रबाहु में अपनी आस्था और विश्वाश रखने वाले हर उस व्यक्ति परिवार जो   देश – विदेश में कही पर, किसी वेश - परिवेश में, किसी कार्य व्यसाय, नौकरी में जैसे भी रह रहे हो यदि वह अपने आप को   हैहयवंश की संतान मानते है तो वो बिना किसी भेद-भाव के इस वंश समाज से बिना हिचक जुड़े और इस हैहयवंश समाज को एक वृहद और सशक्त संगठन बनाने में एक अहम् भूमिका निभाए|   आज हमारा हैहयवंश क्षत्रिय समाज इतनी विवधताओ से भरा है जिसमे सबसे बड़ी विवधिता उपनाम के रूप में है समय और परिस्थितियों, साहित्यिक – इतिहास का अज्ञान व अशिक्षा ने हमें इस ओर मजबूर किया होगा कि हम एक उपनाम या कुछ गिने-चुने अपने वंश-समाज से सम्बंधित जानने वाले उपनामो को प्रयोग नहीं कर सके जिसके कारण हमारी पहचान सदैव छुपी रही, दूसरी बड़ी विविधिता हमारे द्वारा आपसी सौहादर्य तथा परस्पर जन-संपर्क की अभाव सदैव ही रहा जो वर्ग जिस रूप में जन्हा रहा वही
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भगवान दतात्रेय की जयन्ती (श्री राज राजेस्वर सह्स्त्राबाहु महाराज के आराध्य और देव भगवान दतात्रेय)  
श्री सह्स्त्राबहु आरती
श्री सहस्त्राबाहु महाराज चालीसा 

PM Modi's speech at Sydney's Allphones Arena mentioning about Sahstrabah...

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प्रधानमंत्री मोदी के महाराज सस्त्रबाहु  के बारे में दिए गए उद्बोधन का अंश फसबूक पर लिंक जुदा है जो You Tube पर क्लिप किया हुआ है इसे अवश्य सुने और अपने को गौरवान्वित महशुश करे साथ ही गर्व से कहे हम क्षत्रिय है हमारी क्षत्रिय्ता का दुनिया लोहा मानती थी और हमें उसे ही पुन: स्थापित करना है आइये हम सब मिलकर इस नए हैहयवंश क्षत्रिय युग को फिर से इसका पहचान स्थापित करने में अपना सहयोग करे| धन्यवाद

लिंग पुराण में हैहयवंश की गाथा

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लिंग पुराण में हैहयवंश की गाथा

हैहयवंश की गाथा ब्रहम पुराण

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हैहयवंश की गाथा ब्रहम पुराण में 

स्कन्द पुराण में हैहयवंश की गाथा

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स्कन्द पुराण में हैहयवंश की गाथा 
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पदम पुराण में हैहयवंश की गाथा के अंश 

श्रीमदभागवत पुराण में हैहयवंश के अंश

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श्रीमदभागवत पुराण में हैहयवंश के अंश 

श्रीमद भागवत अनुसार पौराणिक हैहय कथा

श्रीमद भागवत अनुसार पौराणिक हैहय कथा ( वर्तमान हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज की वंश-कहानी )  श्रीमद भागवत पुराण, उपनिषदों   औए वेदों के मान्यता अनुसार सर्व-विश्व शक्तिमान परमपिता परमेश्वर   द्वारा   ब्रह्मांड   उद्भव के पूर्व पराभव शक्ति माया (लक्ष्मी) की उत्पति माना जाता है| तद्पश्यात प्रथम आकाश,(गगन) द्रितीय हवा (पवन), अग्नि, जल और प्रथ्वी का उद्भव की मान्यता है| माया जो की अदृश्य शक्ति के रूप में थी का बृहद रूप से विस्तार और और दिन पार्टी दिन बढ़ाने/विस्तार का निरंतरता रही|   धार्मिक/बौधिक मान्यताओ के सन्दर्भ में भी वैज्ञानिको ने भी यह कहा है कि प्रथ्वी और सूर्य आग का गोला के भाग है जिसका कारण यह भी माना जा सकता है के प्रथ्वी जल के समीप होने के कारण धीरे धीरे ठंडी हो गयी और आकाश जल से दूर रहने के कारण आज भी गर्म और जवालित है जिसके प्रकाश से अन्य सभी धरा चमकते और   रोशनी पा रहे है| प्रथ्वी पर माया (अचरज और अजूबा ) अपने अलौकिक शक्ति तथा माया जाल को बढाने के लिये अनेक प्रकार के प्राणियों, जीवो, जन्तुओ और फल, फोल और वृछ आदि की उतपति की| जिससे उसके माया-जाल में लोग रचते-बसते   जाय और उसकी

श्री सह्स्त्राबहु महाराज, महश्मती मंदिर

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श्री सह्स्त्राबहु महाराज, महश्मती मंदिर, महेश्वर, जिला खरगोन, मध्य प्रदेश, भारत (हैहयवंश पुस्तक का अंतिम अंश) हैहयवंश समाज का हर सदस्य इस सह्स्त्राबहु महश्मती मंदिर का दर्शन अवश्य कर लाभ प्राप्त करे और इनके पराक्रम,वीरता, और इस मंदिर के निर्माण कला से अभिसिंचित हो| समस्त हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज के लोगो को अपनी खोयी हुयी पहचान और अस्तित्व को पुन: जागृती करने के उद्देश्य से इस पत्रिका का संकलन और लेखन समाज के जनसहयोग से   और सामाजिक पुस्तकों तथा ग्रंथो, पुरानो, वेदों से प्राप्त करते हुए और समाज व् अन्य इतिहास कारों   द्वारा पूर्व में समाजहित में लिखी गयी कुछ पुस्तकों जैसे हैहयवंश का इतिहास, हैहयवंश उत्पति, जाति भास्कर, प्राचीन भारत की जातिया, क्षत्रिय वंशावली अदि से संग्रहित कर वर्तमान पीढ़ी के कल्यान्नार्थ हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज के जन-जन तक पहुचानें और उनको अपनी समाज के बारे में जानने और पढने के लिए प्रकाशित की जा रही है| इसके प्रकाशन का उद्देश्य सिर्फ सामाजिक जन भावना है नाकि किसी प्रकार से व्यसाय या आय लाभ अर्जित करना है|

नए सामाजिक युग के नवनिर्माण की शपथ

नए सामाजिक युग के नवनिर्माण की शपथ (हैहयवंश पुस्तक का सातवा अंश) आज हमारा हैहयवंश क्षत्रिय सामाज अपने सामाजिक पहचान के लिए एक अत्यंत ही अंतर्द्वंद रूप से आन्दोलित हो रहा है| आइये हम सभी मिलकर इसे एक आन्दोलन का रूप दे| हमारा समाज असीम क्षमताओ, कलाओं, धन वैबव तथा सामजिक आर्थिक रूप से संपन्न रहते हुए भी आज पाने पहचान, संस्कृत, तथा खोये हुए क्षत्रिय सम्मान के लिए उदासीन है इसका कारण सिर्फ सब कुछ होते हुए एक समुचित मंच और संगठन का ना हो पाना है| जहाँ अन्य जाति समुदाय के लोग आज हमसे आगे बढ़ कर अपने स्वरुप का दिन पर दिन जागृत होकर विस्तार कर रहे हम वही आज भी खड़े है| किसी भी जाति समुदाय का अपना अलग पहचान और सामजिक सहभागिता होती है इससे हम इनकार नहीं कर सकते है| कौन सा समाज नहीं चाहता है के उसके अलग पहचान हो वह समाज में अलग दिखे, उसका कार्यशैली, एव्श्यर्य और श्रेष्ठ हो|   इसी क्रम में आज जो हमारा पहचान और सामाजिक सहभागिता है वह हमारे इतिहास और संस्कारो से कही परे है, हम सर्वश्रेष्ठ और उच्चकुल के क्षत्रिय होते हुए भी समाजज में खोये और सोये हुए है, जिसके कारण हम ना चाहते हुए भी इतने हिन्-द
हैहयवंशी के गोत्र, देवी और देवता (हैहयवंश पुस्तक का छठवा अंश) आधुनिक समय में अधिकांश हैहयवंशी क्षत्रिय हयारण गोत्र शब्द का प्रयोग अपने नाम के साथ करते है . हयारण का अर्थ है -----" हय  + अ  + रण  "  हय ययाति बंशे कश्चिद् राजा बभूव आसम्यक प्रकारेण रण मध्ये तिस्ठ न्ति नास्माद हेतुना हयारण पद्मुच्यते . जिसका अर्थ है कि   महाराज हैहय की दक्ष संताने " हयारण " कहलाई . हैहय वंशी क्षत्रिय रण कौशल में इतने अधिक निपुण थे कि रण क्षेत्र में वे हाहाकार मचा देते थे इस कारण से ये " हयारण कहलाये . यह कोई गोत्र नहीं है , केवल मात्र " पद " है . हैहय वंशियो का गोत्र कौशिक देव संकर्षण , बृक्ष वाट , वेड - यजुर्वेद , शाखा - आश्वालायन , प्रबर ३ से है . प्रथम कौशिक , द्वितीय असित , त्रित्तीय देवल , नेत्र याज्ञवल्क्य , सूत्र चौआ ९ , देवी भद्रकाली , और गुरु का नाम देवल है . देवता –कुल देव श्री शिव देवी – कुलदेवी माँ दुर्गा शाखा – चन्द्रवंश नदी – नर्मदा