हैहयवंश एक कविता सन्देश 


जय हैहयवंश:                                  गर्व से कहो हम क्षत्रिय है                                               जय सह्स्त्राबहु:
आज समय की आहट में हैहयवंश हर तरफ सुनायी पडता है,  हैहयवंश की हर तरफ बया बह रही है, अब इससे अच्छा समय हमें परिवर्तन के लिए नहीं मिलेगा, आओ हम सब मिलकर इस गौरवमयी हैहयवंश के पुन:-स्थापना कर एक नयी सामाजिक चेतना जगाये|

हम सब का यह नारा है, हैहयवंश हमारा है|
हम मतभेदों को दूर करे, “हैहयवंशीय” होने का सपना पूर्ण करे||

एक कविता

सोम, चन्द्र और हैहय के वंशज
अपने गौरव को पहचान|॥ 
गज़ब किया चक्रवर्ती सहस्त्रबाहु ने
रामण का तोड़ा अभिमान
अपने गौरव को पहचान|॥ 
नर्वदा की धारा को घेरा|
महेश्वर है जिसका स्थान
अपने गौरव को पहचान|॥ 
धर्म, योग और न्याय के पालक
क्षत्रियता है जिनकी पहचान
अपने गौरव को पहचान|॥ 
ब्रहम, शिव और विष्णु  के स्वरुप
दत्तात्रेयजी है जिनके गुरु भगवान
अपने गौरव को पहचान|॥ 



क्षत्रियता हमारे धर्म, कर्म और संस्कार है  
हैहयवंशीय लिखो, पढ़ो और गर्व से कहो हम क्षत्रिय है

सामाजिक जनहित में जारी- डा० वी० एस० चंद्रवंशी

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