सामाजिक सम्बन्ध के प्रयास रिश्तों का संग्रह

सामाजिक सम्बन्ध के प्रयास रिश्तों का संग्रह

        आज हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज की चर्चा और इसका दायरा बहुत तेजी से हर तरफ बढ़ रहा है जो समाज कल तक अपने पुराने स्वरुप कार्औय आधारित उपनाम से से जाने और पहचाने जाते है, वह धीरे धीरे ही सही परन्तु आज आपने नए स्वरुप  हैहयवंश के नाम से जुडने लगा  है| इसी क्रम में आज एक ऐसा मंच और स्थान एक समाचार के प्रयास से उपलब्ध होने जा रहा है जिसके द्वारा हम हैहयवंश समाज के लोगो को शादी-विबाह जैसे महत्व पूर्ण सामाजिक कार्य को एक समुचित मंच (साधन) वर-वधु हेतु के सुचना के संकलन के रूप में प्रकाशित कर प्रदान किया जा रहा है| जो की पत्रिका के माध्यम से समाज के जन जन तक पहुच कर उन्हें इस सामाजिक समस्या जिसमे वर-वधु के चयन हेतु उपलब्ध होगा| यह एक अत्यंत ही सराहनीय प्रयास है हम सभे समाज के लोग इस कार्य के लिए पत्रिका संचालन और संग्रहकर्ता के आभारी है| आशा है समाज के लोग इस प्रयास का अधिक से अधिक लाभ पायंगे| इस पत्रिका से जुडते हुए इसके तथ्यों और सूचनाओ को समाज के अन्य लोगो तक पहुचने में मदद करंगे जिससे समाज के अन्य लोग भी इससे जुड़े और लाभ प्राप्त करे| यह एक अति ही पुनीत कार्य है की दो परिवारों का सम्बन्ध एक रिश्ते के साथ बध जाय, इस कार्य में एक कन्या के लिए वर का चयन करना और विवाह पूर्ण करना भी किसी पुण्य से कम नहीं है| आज हमारा समाज जिस परिस्थिति में है, और जिस प्रकार हमारा स्वरुप है जिसमे हम कितने रूप में बिखरे हुए है इसका आकलन कर पाना भी संभव प्रतीत नहीं होता है ऐसे में सामाजिक रिश्ते चुनना और बनाना कितना कठिन है हम सभी जानते है| 

       हमारा समाज इस कार्य में बहुत से अन्य प्रकार के साधन और तरीके भी अपनाता रहा है, जिसमे सामूहिक सम्मलेन, सामूहिक विवाह परिचय सम्मलेन आदि आदि जिसमे सामाजिक खर्च और मेहनत ज्यादा करनी पडती है पर  इसका लाभ समाज को मिलता है, परन्तु  यह संकलन हमें ना सिर्फ एक सस्ता और सरल साधन है और जिससे यह वर-वधु के रिश्ते बनाने में कारगर होगा परन्तु हम इससे यह भी जान संकंगे की हमारे परिवार और समाज के लोग किन किन स्थानों पर है और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है जो हमें हर तरह से वर-वधु के चयन में सहायक बनेगी| हम इससे हर वर-वधु के पूर्ण वैवाहिक विवरण प्राप्त कर संकेंगे व्  इससे हम दूसरों की भी रिश्ते बनाने में मदद कर संकेंगे| अब बात इसकी जरुरत क्यों पडी की कर लेते है, एक बड़ा कारण तो हमारा सामाजिक स्वरुप, विभिन्न तरीके के सामाजिक उपनाम, अशिक्षा, सामाजिक मतभेद और सबसे बड़ा कारण परस्सपर संवाद और जानकारी का अभाव है| जिससे आज सामाजिक रिश्तों के साथ वर-वधु के सम्बन्ध स्थापित करने में समाज के हर परिवार को परेशानी  हो रही है| समाज के इस समस्या का एक हल इस पत्रिका में संग्रहित किये गए वर-वधु और उनके सामाजिक पृष्ठभूमि से जुडी सुचनाये है| यह उप्लाभ्धता समाज के लोगो का कुछ हद तक परेशाननी को दूर  करने में सहायक सिद्ध होगी| हम इस माध्यम से इस प्रयास को नए जुड़े लोगो के साथ, और जिनके सम्बन्ध बन चुके है को चाटते हुए हर वर्षों में यदि प्रकाशित करते रहे तो यह एक बड़ा कदम होगा| जिससे समाज के लोगो को वर-वधु की सुचना के साथ आपस में जुडने और जान-पहचान करने का एक माध्यम प्राप्त हो सकेगा| विस्तृत समाज में हो रहे तेजी से बदलाव और भाग-दौड की जीवन में एक दूसरे का सामाजिक साथ कुछ विशिष्ट अवसरों को छोड़ कर कर पाना संभव नहीं है ऐसे में बिना एक दूसरे के संपर्क और जान-पहचान के हम समाजिक रूप से अकले और अनजान रहते है|

       सामाजिक जीवन और समय तो हम आस पास के समाज के साथ जोड़ कर किसी  तरह निकाल सकते है, और दैनिक जीवन के समसाए और सुख-दुःख तो कट जाते है| परन्तु जब हमें बच्चो खासकर बच्चीयों की विवाह का समय आता है तो फिर हमें परेशानी अवश्य ही होती है जिसमे हम फिर या तो भाग्य-समय और कुछ हद तक रिश्तेदारों के ऊपर निर्भर र्रह्कर ही इस समस्या से सफलता मिलती है| यह सत्य है की जोडियाँ ऊपर से बनकर (भगवान और भाग्य) आती है पर हम उसके सहारे ही नहीं रहा सकते है यह एक प्राक्रितिक नियम है हमें कर्म और प्रयास करना ही पडता है| परिवरिक सम्बन्धों में परिवार का आपस में सामंजस्य और दिल के रिश्ते पहले से यदि बना लिए जाय तो दोनों परिवार के लिए अच्छा होता है| अत: पारिवारिक सम्बन्ध से पूर्व हमें प्राप्त सुचना अनुसार रिश्ते बनाने से पहले एक दूसरे को पूरा मौक़ा देते अच्छी तरह से जान और समझ लेना उचित रहेगा| यह सत्य है की हम सभी समाज के लोग एक दूसरे से कही ना कही किसी ना किसी  रूप में सम्बंधित और जान पहचान होती है पर एक दूसरे के संपर्क और अज्ञान के कारण हम एक दूसरे को नहीं जानते है| 

        अंत में हमारा समाज के सभी लोगो से अपील है की हम सभी भी इस समस्यों को एक दूसरे की मदद करते हुए कुछ हद तक दूर कर सकते है इसके लिए हम कम से कम जिस जिले/जगह रह रहे है कम से कम उस जगह के समाज के लोगो के पारिवारिक पृष्ठभूमि और परिवार की कुछ जानकारी इकठ्ठा रखे और संभव हो तो एक दूसरे से परस्पर संपर्क में रहे इससे समाज की सूचनाओ का एक दूसरे ज्ञान और सामाजिक एकता बनी रहेगे| हमें याद रखना चाहिए की यदि हम किसी की मदद किसी रूप में करते है तो हमारी मदद के लिए भी   कोई  ना कोई जरुर तैयार मिलेगा|  यह सत्य है यदि ऐसा ना होता तो समाज का पहिया और चक्र नहीं चला रहा होता| हमें समाज के एक दूसरे के बारे में जानकारी  और उसके सुख-दुःख में सहभाग करना चाहिए| हमारी कल की आवश्यकता आज किसी अन्य के आवश्यकता को पूर्ण करने के पश्च्यात ही मिलेगी पर यह सेवा और सहयोग निस्वार्थ होना चाहिए| हम यह प्रयास कर रहे है और समाज का कोई भी ब्यक्ति सहयोग की आवश्यकता हो तो हमसे संपर्क कर सकता है यह केवल लिखने और विचार ब्यक्त करने तक सिमित नहीं है| सहयोग, सेवा और कर्म मनुष्य को प्रधान बनाता है और यह जरूरी नहीं की यह सभी को  नाम – प्रशिधि ही  प्रदान करे|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बर्तन कारोबारियों का मूल इतिहास

सहस्त्रार्जुन जयन्ती