संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हैहयवंश के सामाजिक संगठन निर्माण और महत्व

हैहयवंश के सामाजिक संगठन निर्माण  और महत्व      किसी भी समाज के निर्माण और संगठन में ब्यक्ति के साथ साथ परिवार की अहम भूमिका होती है| सामाज का निर्माण के बिना ब्यक्ति या परिवार का महत्व नहीं है हम सामाजिक प्राणी के रूप में तभी विकसित हों सकते है जब हमारा समाज हों जो विकसित और संगठित भी हों, जिससे हम सामाजिक सुख-दुख के साथ सामाजिक सांस्कृतिक और रचनात्मक कार्य में पर्तिभाग करते हुए अपने सामाजिक दायित्वो का निर्वहन कर सके| समाज के लिए सामजिक कार्य करना में समय,संयम और सामर्थ्य का होना अनिवार्य है तभी हम सफल रह सकते है| समाज के निर्माण में किसी एक ब्यक्ति या परिवार की भूमिका सहयोग देने की हों सकती है पर जबतक ब्यक्तियो के समूह और परिवारों का मिलन नहीं होगा हम समाज का निर्माण नहीं कर सकते है| अब जब हम विभिन्न ब्यक्ति और परिवार एक समूह मे एकत्र होंगे तो हमारे विचार-सोच और कार्य करने का तरीका कोई जरूरी नही एक हों, ब्यक्ति के विचारों और सोच को हम न तो बदल सकते है पर समूह में बढ़ाते हुए सामाजिक निर्माण के लिए हम कार्य करने के तरीके में सकारात्मक बदलाव ला सकते है जिसमें समूह के सभी लोगो के अच

राजनीतिक और हैहयवंश

राजनीतिक और हैहयवंश       विगत राजनैतिक परिवेश में हमारें हैहयवंशीय सामाजिक लोगो द्वारा न सिर्फ विभिन्न मीडिया साधनों के माध्यम से देखने को मिला की वह प्रदेश की राजनीती में एक नया अध्याय लिख देंगे| जिसमे समाज के कुछ लोगो द्वारा चुनाव में सहभागिता कर चुनाव लडने का भी फैसला किया पर दुर्भाग्य से सफलता नहीं मिल सकी, किसी भी समाज के प्रगति और विकास के लिए राजनैतिक पकड़ की जरुरत अवश्य ही होती है जिसके बिना हम सरकारी लाभ और हक नहीं प्राप्त कर सकते है, यह सच है परन्तु यह भी सच है की बिना किसी तैयारी और संगठन के स्वरुप और कार्य-क्षमता के कोई भी लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है, जिसका परिणाम हमारे सामने है| हमें पहले अपने संगठनात्मक स्वरुप और उसके ढांचे को मजबूत करना होगा| हमें एक ऐसा शशक्त सामाजिक संगठन और स्वरुप का निर्माण करने के साथ उसका शक्ति प्रदर्सन कर समाज को देना होगा की जिससे राजनैतिक दल स्वंम हमें अपनाए और हमारी सहभागिता अपने अपने पार्टी में प्रदान करे|         समाज के कुछ लोग चंद लोभ और तवरित लाभ के लिए समाज को राजनीती के तरफ ले तो जा रहे है पर इसका लाभ हमें इतने आसानी और जल्दी में

हैहयवंश का स्वाभिमान

हैहयवंश का स्वाभिमान       कभी   – कभी अच्छाईयों और सत्यवादिता के साथ न्याय   रूपता व् सामजिक हठ धर्मिता भी विकास में बाधा बन जाते है| अब हम इसे विधि का विधान या फिर सामजिक युग परिवर्तन ! संसार जो भी प्राणी या प्राणी के रूप स्वंम   भगवान ने ही अवतार लिया सभी का निश्चित समय और दिन है कि उसे मिटना या संसार से जाना ही है क्योकि जो आया है उसे जाना है जो बना या बनाया गया है उसे मिटना या खत्म होना है जो आज है कल नहीं था और जो आज है भी उसे कल नहीं रहना है| परन्तु यह भी सत्य है की कुछ मूल चीजे होती है जिसका केवल स्वरुप ही बदलता है उसके कार्य और निरंतरता   बनी रहती है जैसे कि जल, हवा और जीवन जिसे हम सर्वशक्तिमान कहते है| जिस प्रकार सत्य को हम नहीं मिटा सकते है चाहे उसे कितना भी छिपाया या झुठलाया जाय पर एक ना एक दिन सच सामने आ जाती ह| समय परिवर्तनसील है इसी कारण   युग परिवर्तन हुआ और सतयुगस से   कलयुग तक का युग निर्माण बना| परिवर्तन संसार का नियम है, इसी कारण ऋतुये बनी और उसी अनुसार मौसम का परिवर्तन होता है और हमें प्राकृतिक रूप में सभी चीजे प्राप्त है|      समय का चक्र सभी के जीवन क