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हैहयवंश का स्वाभिमान

हैहयवंश का स्वाभिमान कभी   – कभी अच्छाईयों और सत्यवादिता के साथ न्याय   रूपता व् सामजिक हठ धर्मिता भी विकास में बाधा बन जाते है| अब हम इसे विधि का विधान या फिर सामजिक युग परिवर्तन ! संसार जो भी प्राणी या प्राणी के रूप स्वंम   भगवान ने ही अवतार लिया सभी का निश्चित समय और दिन है कि उसे मिटना या संसार से जाना ही है क्योकि जो आया है उसे जाना है जो बना या बनाया गया है उसे मिटना या खत्म होना है जो आज है कल नहीं था और जो आज है भी उसे कल नहीं रहना है| परन्तु यह भी सत्य है की कुछ मूल चीजे होती है जिसका केवल स्वरुप ही बदलता है उसके कार्य और निरंतरता   बनी रहती है जैसे कि जल, हवा और जीवन जिसे हम सर्वशक्तिमान कहते है| जिस प्रकार सत्य को हम नहीं मिटा सकते है चाहे उसे कितना भी छिपाया या झुठलाया जाय पर एक ना एक दिन सच सामने आ जाती ह| समय परिवर्तनसील है इसी कारण   युग परिवर्तन हुआ और सतयुगस से   कलयुग तक का युग निर्माण बना| परिवर्तन संसार का नियम है, इसी कारण ऋतुये बनी और उसी अनुसार मौसम का परिवर्तन होता है और हमें प्राकृतिक रूप में सभी चीजे प्राप्त है| समय का चक्र सभी के जीवन काल में आता है