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श्रीमद भागवत अनुसार पौराणिक हैहय कथा

श्रीमद भागवत अनुसार पौराणिक हैहय कथा ( वर्तमान हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज की वंश-कहानी )  श्रीमद भागवत पुराण, उपनिषदों   औए वेदों के मान्यता अनुसार सर्व-विश्व शक्तिमान परमपिता परमेश्वर   द्वारा   ब्रह्मांड   उद्भव के पूर्व पराभव शक्ति माया (लक्ष्मी) की उत्पति माना जाता है| तद्पश्यात प्रथम आकाश,(गगन) द्रितीय हवा (पवन), अग्नि, जल और प्रथ्वी का उद्भव की मान्यता है| माया जो की अदृश्य शक्ति के रूप में थी का बृहद रूप से विस्तार और और दिन पार्टी दिन बढ़ाने/विस्तार का निरंतरता रही|   धार्मिक/बौधिक मान्यताओ के सन्दर्भ में भी वैज्ञानिको ने भी यह कहा है कि प्रथ्वी और सूर्य आग का गोला के भाग है जिसका कारण यह भी माना जा सकता है के प्रथ्वी जल के समीप होने के कारण धीरे धीरे ठंडी हो गयी और आकाश जल से दूर रहने के कारण आज भी गर्म और जवालित है जिसके प्रकाश से अन्य सभी धरा चमकते और   रोशनी पा रहे है| प्रथ्वी पर माया (अचरज और अजूबा ) अपने अलौकिक शक्ति तथा माया जाल को बढाने के लिये अनेक प्रकार के प्राणियों, जीवो, जन्तुओ और फल, फोल और वृछ आदि की उतपति की| जिससे उसके माया-जाल में लोग रचते-बसते   जाय और उसकी