हैहयवंशीयो का अभिशाप
हैहयवंशीयो का अभिशाप जैसा की पुराणों और वेदों के अध्यन मे यह पाया गया है कि हैहयवंश के कुल देव श्री राजराजेश्वर सहस्त्रबाहु अर्जुन अति अभिमान और अपनी छोटी रानी की आकंक्षाओ मे वशीभूत होकर ब्राहामन ऋषि जन्मदिग्नी के पास जो उनको ज्ञान और तप से प्राप्त कामधेनु गाय जो सर्व इक्क्षापूर्ति सम्पन्न थी को उनके बिना आज्ञा और अनुमति के अभिमान और बल पूर्वक नाही केवल चुरा लाये बल्कि ब्राह्मण ऋषि को घायल और उनके कुटी को तहस नहस कर दिया जिससे परहमन ऋषि ने उन्हें उनके पुरे वंश का नाश होने का अभिशाप दे दिया था, जिसकी प्रवाह श्री राज राजेस्वर सहस्त्रबाहु ने नहीं की और जब परुश्राम जो की उस वक्त कुतिया मे नहीं थे और शास्त्र शिक्षा और भगवान शिव की उपासना कर उनसे फरसा वरदान मे प्राप्त था लेकर जब कुटी पहुचे तो पिता को घायल देख अत्यंत क्रुद्ध हुए और सारी बात जानकार उन्हने पिता को वचन देते हुए की वह हैहय क्षत्रियों का नाश कर इस पाप का बदला लेने श्री सहस्त्रबाहु से युद्ध करने और कुल का नाश करने चल पड़े| इधर राज राजेस्वर कामधेनु को पाकर हर्ष पूर्वक अपनी छोटी रानी को उपहार मे देकर रस लीला मे लीं हो गए थे| जब उ