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हैहयवंश – सामाजिक समस्या और निदान

हैहयवंश – सामाजिक समस्या और निदान आज “हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज” एक ऐसे स्थान पर खडा है जन्हा उत्थान, संगठन और सामजिक विकास के लिए हैहयवंश या सह्स्त्राबहु से सम्बन्ध रखने वाले हर वक्ती या परिवार अपने अपने तरीके से हैहयवंशीय क्षत्रिय समाज के स्वाभिमान, सम्मान और संस्कार को स्थापित करने के लिए प्रयासरत है परन्तु आज आज़ादी के इतने वर्षो बाद भी हम संगठित नहीं हो सके है| हम सभी हैहयवंश का विकास तो चाहते पर हम सभी के अपने अपने अलग अलग रास्ते है| जिसमे उपनाम का लिखना एक बड़ी समस्या है यह सच है की हम सामजिक रूप से अति पिछड़े और अशिक्षित है| समय के साथ हमने अपने संस्कार को भी छोड़ा है तथा इससे भी कारण हम सभी के बीच संवाद की कमी है, हम एक दुसरे से जन-समपर्क नहीं रखना चाहते है जिससे हममे समाज या व्यक्ति के प्रति समपर्ण की भावाना भी क्षीण होती जा रही है| ये सभी कारण ही आज़ समाज को संगठन और एकता में बड़े ही बाधक बन रहे है| हमें अपने अभिमान को छोड़ना होगा तथा स्वाभिमान के साथ सामाजिक संगठन और विकास के साथ आगे बढ़ना होगा तभी हम एक स्वस्थ, संस्सारिक, शिक्षित तथा सुध्रिड समाज की स्थापना कर संकेंगे| हमें