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सहस्त्रार्जुन समाज की उत्पत्ति

सहस्त्रार्जुन समाज की उत्पत्ति स्रष्टी के रचयिता ब्रम्हा जी के मानस पुत्र मरीच से कश्यप और अदिति से सूर्य की उत्पत्ति हुयी। सूर्य से वैवस्वत मनु की उत्पत्ति हुयी। पुराणों के अनुसार मनु आर्यों के प्रथम पूर्वज थे। पौराणिक इतिहास के अनुसार मनु के ज्येष्ठ पुत्र इक्ष्वाकु और पुत्री इला थी। इक्ष्वाकु से सुर्यवां का विस्तार हुआ। मनु ने पुत्री इला का विवाह चन्द्रमा के पुत्र बुध से किया। बुध से ही चन्द्रमा का विस्तार हुआ। इला के नाम पर मातृगोत्र से यह ‘ऐल वां के नाम से भी सुविख्यात हुआ। बुध और इला से पुरूरवा का जन्म हुआ। महाराज पुरूरवा ने ऐलवां की प्रतिस्थापना प्रतिष्ठानपुर वर्तमान में इलाहाबाद में की और उसे राजधानी बनाया । महाराज पुरूरवा का विवाह उर्वशी से हुआ और उनके आठ पुत्र हुये जिनमें आयु और अमावस प्रमुख थे। आयु ने स्वर्भानु की प़ुत्री प्रभा से विवाह किया और उनके पॉंच पुत्र हुये जिन में ज्येष्ठ पुत्र नहुष थे। महाराज नहुष बहुत ही प्रतापी थे और उनकी छह संताने हुयी जिनमें यति और ययाति प्रमुख थे। यति मुनि हो गये और राज्य का त्याग कर दिया। ययाति को राज्य का उत्तराधिकार